तब बीता हुआ वक्त बहुत तेज़ी से जिस्म और दिमाग में सरगोशी करता है!
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तब बीता हुआ वक्त बहुत तेज़ी से जिस्म और दिमाग में सरगोशी करता है!
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बीता हुआ वक्त बहुत तेज़ी से जिस्म और दिमाग में सरगोशी करता है!-यही होता है...और जीने का सबब मिल जाता है...
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बीता हुआ वक्त बहुत तेज़ी से जिस्म और दिमाग में सरगोशी करता है!-यही होता है...और जीने का सबब मिल जाता है...
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उन सुबहों का जिनमे कोई इठलाता सपना सरगोशी करता हो उन रातों का जब एक एक पहर में न जाने कितने इन्द्रधनुष खिल उठे हों या किसी रात को
6.
सब लोग पूछते मुझसे, खुदा का है वास्ता, कोन सी चाल बाज़ी या साज़िश मैं रचा गया} | अब चाँद मेरी महफ़िल मे सरगोशी करता, इल्जाम है मेरे आगोश मे चाँद आ गया | ज़ुल्म और नफ़रत का ज़हर हर कोई फैलता, जलन से मुहब्बत या, सलीके का लहज़ा बदल गया! हर ताल्लुकात मे अब सौदा नजर आता, कितना लाजमी है हर शख्स-ऐ-आम पास आ गया!!